Friday, January 21, 2011

तेरे चरण-कमल से श्याम लिपट जाऊँ रज बनके -

 *श्रीराधे*
स्वीटी राधिका-राधे-राधे-श्याम सुन्दर
जो नन्द के लाला भगवान श्री कृष्ण को अपना मानते-समझते हैं -
श्रीजी पद पंकज जिनके ह्रदय-चित्त में बसे हैं
श्री वृन्दावन चन्द जिनके नयनों के केन्द्र हैं

 "स्वीटी राधिका राधे-राधे"
-श्री वृन्दावन धाम-
श्री राधे-श्याम चरण पंकज तजि-मन"स्वीटी"अनत न जावै 
"स्वीटी राधिका" राधे-राधे अन्य कछु न आवै   
तेरे चरण-कमल से श्याम लिपट जाऊँ रज बनके !
लिपट जाऊँ रज बनके - लिपट जाऊँ रज बनके  !! 
तेरे चरण-कमल से श्याम, लिपट जाऊँ रज बनके !
मोर मुकुट तेरे शीश पे सोहे  !
प्यारी मुरली मुनि मन मोहे !
तेरे गल वैजन्ती माल लटक जाऊँ लट बनके  !!
तेरे चरण-कमल से श्याम-ओरे श्याम... लिपट जाऊँ रज बनके !!
तेरे चरण-कमल से कान्ह लिपट जाऊँ रज बनके !!
तेरो नाम बड्यो सुख दाई !
तो संग प्यारे मैंने प्रीति लगाई !
मेरी नस-नस बस जाओ श्याम, बरस जाओ रस बनके !!
तेरे चरण-कमल से श्याम लिपट जाऊँ रज बनके !!
लिपट जाऊँ रज बनके-लिपट जाऊँ रज बनके ! 
तेरे चरण-कमल से श्याम लिपट जाऊँ रज बनके  !!
श्री वृन्दावन की कुँजन विचरें !
कुञ्ज बिहारी दरस मन हरसें !
तेरी रूप माधुरी श्याम तकूँ चक-खग बनके !!
तेरे चरण-कमल से श्याम लिपट जाऊँ रज बनके !!
तेरे चरण-कमल से कान्ह लिपट जाऊँ रज बनके !!
श्रीजी सेवा करें कन्हाई !
श्रीजी चरण रहे चित्त लुभाई !
श्री युगल किशोर सरकार , रहूँ तुम संग सब तजिकें !!
तेरे चरण-कमल से श्याम लिपट जाऊँ रज बनके !!
तेरे चरण-कमल से कान्ह लिपट जाऊँ रज बनके !!
तेरे गीत मेरे संगीत !
ए मन मीत मेरे प्रीति की रीति !
तेरी माखन चोरी श्याम ,बुलाऊँ घर गोपी बनके !!
तेरे चरण-कमल से श्याम लिपट जाऊँ रज बनके !!
तेरे चरण-कमल से कान्ह लिपट जाऊँ रज बनके  !!
श्री राधिका वल्लभ राधे-राधे !
गाये "स्वीटी राधिका" राधे-राधे !
शरण तिहारी प्यारे राधे-राधे !
तेरो सुमिरन आठों याम ,रहे मोहि सुधि बनके  !!
तेरे चरण-कमल से श्याम लिपट जाऊँ रज बनके !!
तेरे चरण-कमल से कान्ह लिपट जाऊँ रज बनके !!
लिपट जाऊँ रज बनके-लिपट जाऊँ रज बनके !
तेरे चरण-कमल से श्याम लिपट जाऊँ रज बनके !!
"स्वीटी" भजे तोहि आनंद ब्रज के !
श्री श्याम-राधिका जीवन ब्रज के !
तेरे बलिहारी श्याम-श्याम,वहूँ ब्रज रस बनके !!
तेरे चरण-कमल से श्याम ओरे श्याम... लिपट जाऊँ रज बनके !!
तेरे चरण-कमल से कान्ह लिपट जाऊँ रज बनके !!
लिपट जाऊँ रज बनके-लिपट जाऊँ रज बनके !
तेरे चरण-कमल से श्याम लिपट जाऊँ रज बनके !!
गीत गोविन्द "स्वीटी" के सुमिरन !
सूरसागर "स्वीटी" जीवन धन !
भये भाग मेरे अब आय ,जन्म लियो "राधिका" बनके !!
तेरे चरण-कमल से श्याम लिपट जाऊँ रज बनके !!
तेरे चरण-कमल से कान्ह लिपट जाऊँ रज बनके !!
लिपट जाऊँ रज बनके-लिपट जाऊँ रज बनके !
तेरे चरण-कमल से श्याम लिपट जाऊँ रज बनके !!
"स्वीटी राधिका" बोले राधे-राधे  !
श्री श्याम मिलादे राधे-राधे !
तेरे रंग रंगी घनश्याम ,चढ़े न कोई रंग तजिके !
तेरे चरण-कमल से श्याम लिपट जाऊँ रज बनके !!
तेरे चरण-कमल से कान्ह लिपट जाऊँ रज बनके !!
लिपट जाऊँ रज बनके-लिपट जाऊँ रज बनके !
तेरे चरण-कमल से श्याम लिपट जाऊँ रज बनके !!
श्री राधे मेरी प्राण प्यारी करहु कृपा की कोर
ह्रदय कुञ्ज बन तुम्हे निहारें नन्द नंदन की ओर
तेरे नाम हित ओ श्याम-सजनी
धरयो "स्वीटी राधिका-राधे-राधे" रूप
श्री ब्रषभानु किशोरी जू तेरे चरित गाऊँ अनूप
श्याम ह्रदय श्यामा मेरी स्वामिनी
"स्वीटी"जग गये भाग हमारे मिली प्रिया लाल अभिलाषा
"राधिका राधे-राधे" नाम में चित्त मुदित ह्वै गाय
राधे-राधे गोविन्द संकीर्तन जग में छाय
श्री राधे-राधे गोविन्द -गोविन्द राधे 
गोविन्द राधे-गोपाल राधे 
राधे-राधे-राधे गोविन्द राधे 
श्री राधे-राधे गोविन्द -गोविन्द राधे 
घनश्याम राधे -मनमोहन राधे 
राधावल्लभ राधे-प्रिया लाल राधे 
राधे-राधे-राधे गोविन्द राधे 
गोविन्द राधे-गोपाल राधे 
श्री राधे-राधे गोविन्द-गोविन्द राधे 
"स्वीटी राधिका राधे-राधे"
-श्री वृन्दावन धाम- 

Monday, January 17, 2011

श्रीजी पद पंकज जिनके ह्रदय-चित्त में बसे हैं

* जय श्री राधे *
जो नन्द के लाला भगवान श्री कृष्ण को अपना मानते-समझते हैं -
श्रीजी पद पंकज जिनके ह्रदय-चित्त में बसे हैं
श्री वृन्दावन चन्द जिनके नयनों के केन्द्र हैं

 
"स्वीटी राधिका राधे-राधे"
-श्री वृन्दावन धाम- 
जो नन्द के लाला भगवान श्री कृष्ण को अपना मानते-समझते हैं -
श्रीजी पद पंकज जिनके ह्रदय-चित्त में बसे हैं
श्री वृन्दावन चन्द जिनके नयनों के केन्द्र हैं

 
 "स्वीटी राधिका राधे-राधे"
-श्री वृन्दावन धाम- 
 
जो नन्द के लाला भगवान श्री कृष्ण को अपना मानते-समझते हैं -
श्रीजी पद पंकज जिनके ह्रदय-चित्त में बसे हैं
श्री वृन्दावन चन्द जिनके नयनों के केन्द्र हैं

 
 "स्वीटी राधिका राधे-राधे"
-श्री वृन्दावन धाम- 
जो नन्द के लाला भगवान श्री कृष्ण को अपना मानते-समझते हैं -
श्रीजी पद पंकज जिनके ह्रदय-चित्त में बसे हैं
श्री वृन्दावन चन्द जिनके नयनों के केन्द्र हैं


"स्वीटी राधिका राधे-राधे"
-श्री वृन्दावन धाम- 
जो नन्द के लाला भगवान श्री कृष्ण को अपना मानते-समझते हैं -
श्रीजी पद पंकज जिनके ह्रदय-चित्त में बसे हैं
श्री वृन्दावन चन्द जिनके नयनों के केन्द्र है
"स्वीटी राधिका राधे-राधे"
-श्री वृन्दावन धाम-
मित्रो,
यह पोस्ट आप उन सब के लिए है जो नन्द के लाला भगवान श्री कृष्ण को अपना मानते-समझते हैं - श्रीजी पद पंकज जिनके ह्रदय-चित्त में बसे हैं -श्री वृन्दावन चन्द जिनके नयनों के केन्द्र हैं -
यदि आपका ह्रदय श्याम सुन्दर के लिए धड़कता है - आपका मन मुरली मनोहर की मृदुल चित चोर मन भावन मुस्कान के लिए मचलता है - आपका कंठ और आपकी रसना नित-प्रति श्रीराधे - श्रीराधे टेर में रत हैं - आपके श्रवण हरि कथा सुनने को व्यग्र हैं - आपके नयन श्री राधावल्लभ-कुञ्ज बिहारी लाल के दर्शन को आतुर हैं - आप को श्रीजी कृपा संग लाभ की लालसा है - श्री वृन्दावन वास आपकी परम आकांक्षा है - बृजवासी-भक्त संग हेतु जिनकी मति-बुद्धि अधीर है - 
आप श्री कृष्ण भक्ति प्रचारार्थ रास-बिहारी-मन मोहन यसुमती नंदन माखन चोर कुञ्ज बिहारी भगवान श्री राधा रमण श्री राधिका वल्लभ कृष्ण कन्हैया नीलमणि के प्रति अपने भाव-उद्गार-अनुभव-प्रसंग यहाँ लिख कर श्री गिरधर गोपाल श्री बाँके बिहारी जी की कृपा - स्नेह प्राप्त करें , निश्चय ही हमारी स्वामिनी श्री राधे आपके इस महान सुकृत्य पर प्रसन्न हो "श्री श्याम रस" आशीष में प्रदत्त करेंगी !  मुरली मनोहर सांवरिया जी सहज भाव में आपके ह्रदय में श्री वृन्दावन रस धारा का स्फुरण कराएँगे ! मित्रो श्याम सुन्दर के कीर्तन कलि काल में सर्व श्रेष्ठ भगवद आराधना है और आप भली भाँति समझते हैं कि कलि के आधुनिक संपर्क-यन्त्र-संसाधन इंटरनेट पर हम सब यह -
श्री राधे-श्याम संकीर्तन ही तो कर रहे हैं -
अतः मित्रो अबिलम्ब मेरे आमंत्रण को स्वीकार कर इस श्याम धुन-
श्रीराधा नाम संकीर्तन मंडल में सम्मिलित होकर प्रेम से श्रीराधे-राधे गायें---


जय-जय श्री राधे-श्याम