Thursday, March 10, 2011

धर्म-संग्राम

श्री राधे
मित्रो ,
आज से मैं ब्लॉग mycountry -mywishes पर धर्म-संग्राम नामक शीर्षक पर अपने राष्ट्र-धर्म एवं देशवासियों के कल्याणार्थ 
निज-अभिव्यक्तियाँ प्रस्तुत करुँगी ,आप सभी से मेरा अत्यंत आग्रह पूर्वक निवेदन है कि कृपया आप भी अपनी सम्मतियाँ प्रदान कर 
राष्ट्र-धर्म एवं जन सेवा में अपना सहयोग प्रदान कर मुझे उत्साहित करें कि मैं एक और धर्म युद्ध-एक और महाभारत के लिए शंख नाद कर सकूँ और सभी सच्चे राष्ट्र भक्त पार्थ की भांति समर भूमि मैं अपने गांडीव की टंकार से शत्रु सेना-अधर्मियों-राष्ट्र-सत्ता लोलुपों को भयभीत कर-पदच्युत कर  इस महान राष्ट्र से खदेड़ दें !


बहुत हुआ अब नहीं सहेंगे कायरता की कड़ियों को !
शंखनाद कर समर भूमि में तोड़ें सब जंजीरों को !!
बहुत हुआ पाखंड राज्य अब भेद के चक्र कुचालों के !
रच डालेंगे गौरब-गाथा स्वाभिमान निज गुरुता के !!
वाकी अभी गुलामी कुछ है आओ मिल जय-घोष करें !
पूर्ण स्वराज्य का स्वप्न तिलक का हम-सब उससे तिलक करें !! 
वन्दे-मातरम ,जय-हिंद घोष संग जय हिंदुत्व की धारा में ! 
जय श्रीराम जय श्रीकृष्ण हर-हर महादेव जय-कारा में !!
पायें श्रेष्ठ राष्ट्र-संस्कृति धुन अरु भगवदगीता विचारों को !
राम-राज्य वैभव पायें धारित कर श्रेष्ठ संस्कारों को  !! 

 मित्रो , महामना मालवीय जी ने हिन्दू विश्वविद्यालय का संकल्प लिया जिसे सहज ही निज सच्ची एवं तीव्र अभिलाषाओं से साकार किया यद्यपि तत्कालीन सामाजिक-राजनैतिक-आर्थिक स्थितियां अत्यंत ही जटिल एवं बिषम थीं , लोकमान्य तिलक ने पूर्ण स्वराज्य के लिए संकल्प लिया-नींब रखी जिसे हमें पूरा करना है जिसके बिना अभी हम बेघर हैं ! समर्थ गुरु रामदास जी का छत्रपति महाराज शिवाजी को आशीर्वाद है धर्मंयुद्ध के लिए -विजय के लिए वही आशीर्वाद हम सब को राष्ट्र रक्ष्यार्थ-धर्म रक्ष्यार्थ पूज्यनीय तिलक एवं महामना के द्वारा हमें तिलक किया गया है ! डॉ. हेडगेवार , संत गुरूजी , राष्ट्रभक्त श्यामा प्रसाद मुखर्जी, जनसेवक-राष्ट्रसपूत पंडित दीनदयाल जी उपाध्याय एवं अन्यादि राष्ट्र-धर्मं ध्वजा आरोही हमें राष्ट्र-धर्मं सम्मान में लगातार दिशा बोध करा रहे हैं , प्रातः स्मरणीय जगदगुरु भगवान श्री आद्य शंकराचार्य अपनी ज्ञान-विज्ञानं एवं ईश-धर्म-दर्शन निष्ठां-कृत्यों से अखंड भारत एवं सनातन धर्मं-संस्कृति के सूत्र में एकत्रित कर स्वाभिमान-आशीर्वाद की कृपा-माला में पिरो दिए हैं इसी दिशा में जगद गुरु भगवान श्री रामानुजाचार्य , श्री निम्बार्काचार्य , श्री बल्लभाचार्य , श्रीमन चैतन्य महाप्रभु एवं अन्यादि भगवद स्वरुप-भगवद प्रेमी  धर्मं-राष्ट्र सेवी आचार्यों-गुरुओं की कृपा हमें अनवरत-अबाधित प्राप्त हो रही है ! स्वयं भगवान श्रीकृष्ण पार्थ-सारथी के रूप में श्रीमद भगवदगीता द्वारा हमें मार्ग-दर्शित करने को सुलभ हैं  ! जब इतना आत्म-बल, गुरु आशीर्वाद-भगवद कृपा हमारे पास है तो हमारी विजय भी सुनिश्चित है अतः मित्रो पूर्ण स्वराज्य के घर को स्थापित करने के लिए हम-सबको अभी से संकल्प बद्ध हो प्रयास रत हो जाना चाहिए ! मित्रो उपरोक्त आशीर्वादों से कार्य लगभग पूरा है --फल सम्मुख है बस हमें अज्ञान रूपी  घोर निशा की अवचेतनता जो वर्त्तमान सत्ता लोलुप राज नेताओं-भ्रष्ट नौकरशाहों ने भारतीय जन-मानष  पर चला रखी है से जग कर अपने स्वाभिमान-राष्ट्र-धर्मं-संस्कृति सेवा के लिए इस पूर्ण स्वराज्य के फल को आपस में बांटना है ! यह पूर्ण स्वराज्य का फल कैसे सेवन किया जाय इसे कैसे जीवन-राष्ट्र में वास्तविक रूप से अपनाया जाय इसकी चर्चा में अगले लेख में करुँगी ...
राधे-राधे                   

1 comment:

  1. हे मातृभूमि ! हे माँ भारती ! देखो आपकी संतानें क्षुद्र स्वार्थों वश आपके ह्रदय पर कुठाराघात कर रहे हैं ! दुष्ट राज-नेताओं के माया जाल में आकर कहीं आरक्षण के नाम ,कहीं भाषा के नाम, कहीं क्षेत्रीयता के नाम ,कहीं ढोंग उपासनाओं के नाम संकीर्ण स्वार्थ सिद्धि के लिए , देश का -धर्म का सत्यानाश किया जा रहा है ! निश्चय ही हमारी राज-व्यवस्था की चूकें जो कांग्रेस पार्टी के एक छत्र कपट - राज्य से उत्पन्न हो कर व्याल की भांति बिष भरे दंशों से इस महान स्वतंत्रता को ग्रसने को आतुर हैं ये दुष्ट पार्टी अंग्रेजी शासन की भांति 'फूट डालो और राज्यकरो की कुनीति' से जनमानस को भ्रमित कर उनके वोटों का वंटवारा कर अपना राज्य निस्कनटित करती है ! और दुर्भाग्य से हमारा लालची जन-मानस अपने-अपने स्वार्थों के कारण विभक्त हो इस सांपिन कांग्रेश को पाल-पोष रहा है !ये कथित समाजवादी-साम्यवादी इसी कांग्रेस के छद्म रूप हैं जो समय-समय पर एक जुट हो कर सरकार बनाकर इस राष्ट्र की आत्मा इसकी गंगा-यमुनी सनातन संस्कृति को ग्रसने के कुचक्र संचालित करते रहते हैं ! वी.पी. सिंह जैसे
    खलनायक इसी कोंग्रेश की उपज हैं जो मृत प्राय मंडलआयोग जैसे वमों को पुनः जीवित कर इस राष्ट्र एवं निवासियों को आग में झोंक देते हैं ! इसी कांग्रेस के बूढ़े नाग अर्जुन सिंह जैसे अपने मरने के समय भी इस राष्ट्र की धमनियों में पुनः मंडल रूपी संयोजित बिष प्रवाहित कर राष्ट्र को मारने की तैयारी कर देते हैं ! मित्रो आरक्षण जहर है जिसके कारण देश प्रतिभाओं से वंचित हो जाता है एवं व्यर्थ के विवादों में उलझ राष्ट्रीय संकट में उलझ जाता है ,इससे भला किसी का भी नहीं होता मोटे-मोटे उच्चवर्गीय अपना हित साध लेते हैं, गरीब जन-मानस जिसे वास्तविक में कुछ लाभ अवश्य मिलना चाहिए सुविधाओं से वंचित रह जाता है ! अतः यदि कोई आरक्षण सुविधा हो भी तो जातीय आधार पर न होकर आर्थिक आधार पर हो ! इसी प्रकार से भाषाई-क्षेत्रीयता जैसी घटनाएँ राजनीतिक कुचालें हैं -मंडलआयोग गुर्जर आन्दोलन - जाट आन्दोलन ,मराठी आन्दोलन , ये सब जन-मानस को मरवाने के लिए हैं ये किसी के हित के लिए नहीं हैं !

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हरेकृष्ण हरेकृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ! हरेराम हरेराम राम राम हरे हरे !!