जय-जय श्री राधे श्याम
श्री वृन्दावन चन्द्र की मधुरिमा मेरे जीवन रंग !
श्रीजी पद पंकज लालसा याते करें श्याम को संग !!
रसना कटों जो अन रटों निरखि अन्फुटो नैन !
श्रवण फुटौ जो अन सुनौ श्री राधा यस वैन !!
स्वीट राधिका कह रही सुनहु नन्द के लाल !
श्री राधे -राधे यश सुधा ये है मेरे भाल !!
ब्रषभानु सुता के हित सखी मैं करयो लाल को संग !
श्री राधे -राधे जग रटे यही हमारो ढंग !!
जय -जय श्री राधे श्याम
मति कीरति गति भूति भलाई ! जो जेहि भांति सदा जग पाई !!
सो केवल सत्संग प्रभाऊ ! लोकहूँ वेद न आन उपाऊ !!
above lines are from lord rama's great song shri mad ramacharit maanas
the writer of great devotional poetry sant shri tulasidasji maharaj is indicating
about all success of life are in satsanga (the company of devotees-the company of truth).. and there is not any other way except this
सो केवल सत्संग प्रभाऊ ! लोकहूँ वेद न आन उपाऊ !!
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बहुत से मित्र ,मुझे पूछते हें कि मैं भगवान की प्यारी भक्त हूँ .. बहुत से कुशल क्षेम पूछते हैं
..मेरा उन सबके लिए निम्नांकित प्रति-उत्तर हैं -
जय श्री राधे ..
बस हम तो श्रीजी श्याम सुन्दर के नाम को रटते -रटाते रहते हैं ! आप यदि इसे भक्त की संज्ञा देते हैं तो आपकी महिमा ...
हम तो भक्त -वत्सल भगवान के प्यारे भक्तों की चरण -रज कांक्षी हैं ---राधे -राधे
श्री राधे श्याम !!
जी मैं श्रीजी कृपा छाया में सदैव प्रसन्न रहती हूँ !!
आप कह सकते हैं कि प्रसन्नता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है !!
क्योंकि मैं राम नाम रूपी महामंत्र को जपती हूँ !
जिसे भगवान शंकर श्री काशी पुरी में जीव को उसकी मुक्ति हेतु सुनाते हैं
यथा- महामंत्र जोई जपत महेशू ! कासी मुकुति जीव उपदेशू !!
आइये प्रेम के साथ गायें -
हरेकृष्ण-हरेकृष्ण कृष्ण-कृष्ण हरे-हरे ! हरेराम-हरेराम राम-राम हरे-हरे !!
स्वीट राधिका-राधे-राधे !!
सोई मम इष्ट देव रघुवीरा ! सेवत जाहि सदा मुनि धीरा !!
!!-जय सियाराम -जय -जय सियाराम !!
!!-जय सियाराम -जय -जय सियाराम !!
राधे-राधे
स्वीट राधिका-राधे-राधे
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हरेकृष्ण हरेकृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ! हरेराम हरेराम राम राम हरे हरे !!